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भारत की राजधानी दिल्ली में चुनाव के बाद सरकार बने हुए तकरीबन चार माह से अधिक का समय हो चुका है है। दिल्ली चुनावों के परिणामो में आम आदमी पार्टी ने चुनावी मैदान में सभी राजनैतिक दलों को चारो खाने चित करते हुए कुल 70 सीटों वाली विधानसभा में 67 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनायीं थी। चुनावी परिणामों में मुहं की खाने के बाद यह तो तय हो गया था कि केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार दिल्ली में केजरीवाल सरकार को इतनी आसानी से अपनी मर्जी का काम नहीं करने देगी।
वर्तमान समय में अरविन्द केजरीवाल सरकार को दिल्ली की सत्ता संभाले चार महीने से कुछ वक़्त अधिक ही हुआ है लेकिन महज इतने कम वक़्त में भी आम आदमी पार्टी को केंद्र सरकार से कई मुद्दों पर टकराव झेलना पड़ा चुका है। चुनावों के पहले दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग के साथ शुरू हुआ टकराव अब मौजूदा वक़्त में दिल्ली पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल करने की खबर तक पहुँच चुका है। आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ लगातार कार्रवाई करने को लेकर आप इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरती रही है।
कुमार विश्वास, आशुतोष, आशीष खेतान जैसे आप के शीर्ष नेताओं ने इस तरह की कार्रवाई को भाजपा की केंद्र सरकार के कहने पर हो रही कार्रवाई बताया है। इसके इतर अगर हम दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग व दिल्ली पुलिस की बात करें तो आप के तमाम नेता इन सभी को केंद्र का रिमोट कंट्रोल तक करार दे चुके हैं। इसके अतिरिक्त प्रवक्ता आशुतोष ने नजीब जंग पर देश के सबसे बड़े उद्योग घराने रिलायंस के इशारे पर काम करने के भी आरोप लगा चुके हैं।
बहरहाल, मौजूदा वक़्त में आम आदमी पार्टी द्वारा लगाये गए नए आरोप की बात की जाये तो दिल्ली पुलिस द्वारा आप के 21 विधायकों के खिलाफ जांच को लेकर दिल्ली की राजनीति गर्म हो चुकी है। पार्टी के तमाम नेता इस मुद्दे पर भी दिल्ली पुलिस के पीछे केंद्र सरकार के निर्देश देने की बात कह रहे हैं। ‘आप’ नेताओं के दिल्ली पुलिस पर केंद्र सरकार के कहने पर काम करने वाले लगाये जा रहे हैं इन आरोपों को कई कारणों से बल भी मिल रहा रहा है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आई एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की मौजूदा विधानसभा में किसी भी विधायक पर कोई भी गंभीर आपराधिक मामले नहीं दर्ज हैं और इसके साथ ही रिपोर्ट में वर्तमान विधानसभा को सबसे साफ़ सुथरी विधानसभा तक होने के भी आंकड़े निकल कर आये थे। इसी कारणवश एक बात यह भी समझ के परे दिखाई देती है कि आप के 21 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज न होने के बावजूद भी आखिर क्यों दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ पड़ी हुई है। अगर हम ‘आप’ के 21 विधायकों पर होने वाली कार्रवाई को कानूनी रूप से सही मान भी लें तब भी एक सवाल प्रासंगिक हो उठता है कि क्या देश का कानून केंद्र व राज्यों के नेताओं के लिए भिन्न हैं।
ऐसा सवाल इसलिए उठता है क्योंकि इससे भी गंभीर मुक़दमे संसद में व संसद के बाहर बैठे केंद्र सरकार के मंत्रियों व नेताओं पर दर्ज हैं। हत्या से लेकर फर्जी डिग्री आदि जैसे गंभीर आरोप दर्ज होने के बावजूद भी आखिर क्यों दिल्ली पुलिस केंद्र के भाजपा नेताओं को बचा रही है अथवा क्यों उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। जहाँ एक ओर आप के पूर्व कानून मंत्री जीतेन्द्र सिंह तोमर पर फर्जी डिग्री के आरोप के बाद उनकी गिरफ्तारी की जा चुकी है तो वहीँ केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी पर भी फर्जी डिग्री सम्बंधित आरोप लग चुके हैं लेकिन दिल्ली पुलिस व खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है।
खैर, केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के बीच इस टकराव के तह तक जाने पर साफ़ तौर पर दिखाई पड़ता है कि भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी तक दिल्ली की हार को पचाने में असफल ही साबित हुआ है। इसी कारणवश केंद्र की मोदी सरकार कहीं न कहीं दिल्ली सरकार के साथ बदले की भावना के साथ काम कर रही है।
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