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विगत आठ महीनों के भीतर भारतीय राजनीति में आम चुनावों के साथ कई राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर आदि में हुए विधानसभा चुनावों के इतर जिस विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता में सबसे अधिक उत्साह था वह देश की राजधानी दिल्ली के चुनावों को लेकर ही था। 7 फरवरी को संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता ने रिकॉर्ड तोड़ मतदान करते हुए लगभग 68 फीसद मतदान किया। गौरतलब है कि बीते सालभर से ही देश की राजधानी दिल्ली किसी भी राजनैतिक दल की सत्ता से दूर थी। सन 2013 के दिसंबर माह में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में नई नवेली पार्टी के रूप में राजनीति में कदम रखने वाली आम आदमी पार्टी ने चमत्कारिक ढंग से खेल दिखाते हुए 28 सीटों पर कब्ज़ा किया था। यूं तो उस वक़्त भारतीय जनता पार्टी 32 सीटों के साथ पहले स्थान पर पहुंची थी परन्तु राजनैतिक स्थितियों के कारण उसे विपक्ष में बैठना पड़ा था और कांग्रेस के साथ 18 मुद्दों पर समर्थन लेकर आम आदमी पार्टी ने अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज हुई।
हालाँकि, महज 49 दिन की सरकार चलाने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली जनलोकपाल बिल के पारित न होने की वजह से सत्ता छोड़ने के बाद लोकसभा चुनावों की ओर रुख कर लिया था। इन सभी राजनैतिक कारणों से दिल्ली की जनता बीते एक साल से बिना किसी मुख्यमंत्री के रह रही थी जिसकी वजह से दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग दिल्ली की बागडोर संभाले हुए थे।
फरवरी के बीते सात को हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे जरुर मंगलवार यानी की 10 फरवरी को घोषित किये जायेंगे लेकिन तमाम टीवी चैनलों ने सर्वे एजेंसी के साथ मिलकर एग्जिट सर्वे मतदान समाप्त होते ही दिखाने शुरू कर दिए थे। तमाम न्यूज़ चैनल्स व् सर्वे एजेंसी के द्वारा किये गए एग्जिट पोल सर्वे में 70 सीटों वाली देश की राजधानी दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बहुमत के साथ साथ सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में सत्ता पर काबिज़ होने की स्थिति में प्रतीत हो रही है। हालाँकि यह जरुर है कि कई अलग अलग सर्वे एजेंसियों के अलग अलग सर्वेक्षण हैं परन्तु एकाध को छोड़कर सभी एग्जिट पोल सर्वे में आम आदमी पार्टी की स्थिति अन्य पार्टियों के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर है।
बीते कुछेक चुनावों के दौरान होने वाले एग्जिट पोल में न्यूज़ चैनल न्यूज़ 24 के साथ सर्वे करनी वाली सर्वे एजेंसी चाणक्य के अनुसार दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में सीधे तौर पर स्पष्ट बहुमत पाते हुए आम आदमी पार्टी 48 सीटों के साथ पहले स्थान पर, जबकि 22 सीटों के साथ भाजपा विपक्ष की पार्टी बनते हुए दिखाई दे रही है। चाणक्य के इस एग्जिट पोल में दिल्ली की जमीन पर 15 साल राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को शून्य सीट से ही संतोष करना पड़ा है। वहीं एबीपी – नील्सन के एग्जिट पोल के अनुसार आप को 43 व् भाजपा को 26 और कांग्रेस को महज 1 सीटें ही मिलने का अनुमान है।
इन सभी के इतर अगर हम मोटे मोटे तौर पर सभी एग्जिट पोल के सर्वे पर नज़र डालें तो आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज़ होने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है। सभी एग्जिट पोल में एक एजेंसी के सर्वेक्षणों में सबसे अधिक गौर करने वाली बात है वह न्यूज़ 24 व् चाणक्य का एग्जिट पोल है। गौरतलब है कि विगत डेढ़ सालों में हुए तमाम प्रदेशों के विधानसभा चुनावों से लेकर 2014 के अप्रैल मई में हुए आम चुनावों में भी चाणक्य का एग्जिट पोल लगभग लगभाग नतीजों में ही तब्दील हुआ है।
बहरहाल, इन तमाम सर्वे एजेंसियों के द्वारा किये गए एग्जिट पोल किस हद तक सही होते हैं यह तो आने वाली 10 को ही पता चलेगा लेकिन इससे यह तो स्पष्ट हो चुका है कि कुछ महीनों से चली आरही मोदी लहर की बदौलत कई प्रदेशों में अपनी सरकार बना चुकी भारतीय जनता पार्टी इस चुनावों में जरुर बैकफुट पर आ चुकी है।
खैर, अगर हम मौजूदा वक़्त में एग्जिट पोल को ही चुनावी नतीजों की तरह देखें तो एग्जिट पोल के नतीजे भाजपा तथा मौजूदा वक़्त में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के के लिए जरुर चिंता का सबब साबित होंगे। महीने भर से प्रचार प्रसार में लगी भारतीय जनता पार्टी की इस तरह दुर्गति होगी शायद इसका अंदाजा खुद नरेन्द्र मोदी व् भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी नहीं रहा होगा। हरियाणा, महारष्ट्र आदि के विधानसभा चुनावों में भाजपा पर बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के बजाय सिर्फ मोदी लहर के बदौलत चुनाव लड़ने का आरोप लगता रहा है लेकिन दिल्ली के इन चुनावों में भाजपा ने किरण बेदी को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर लड़ाई को और रोचक बनाने की भरपूर कोशिश की।
एग्जिट पोल को आधार मानते हुए बात भाजपा और आप के इतर बीते दो वर्षों से देश की राजनैतिक भूमि से लगभग गायब हो चुकी कांग्रेस की करें तो कमोबेश हर राज्य की ही तरह दिल्ली में भी कांग्रेस की हालत बहुत ही नाजुक बनी हुई है। एक ओर जहां आज तक- सिसरो के एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस मात्र 3 से 5 सीटों पर सिमट रही है तो वहीं न्यूज़ 24 -चाणक्य के अनुसार इस दफे कांग्रेस का राज्य में खाता खुलने के आसार तक नहीं हैं।
बहरहाल, मौजूदा वक़्त में इन तमाम एग्जिट पोल को सटीक व् सच नहीं माना जा सकता है क्योंकि लाखों की विधानसभा वाली सीट में मात्र कुछेक हज़ार मतदाताओं से उनके मतों के बारे में जानकार उस पूरी सीट का निष्कर्ष निकाल लिया जाये तो यह बिलकुल सही और सटीक नहीं होंगे। लेकिन लोकसभा व् उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों के दौरान इनकी सटीकता को देखते हुए इनको पूरी तरह से ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता है। खैर, अब आने वाली 10 फरवरी को ही यह मालूम पड़ेगा कि यह एग्जिट पोल कितने प्रतिशत चुनावी परिणामों में तब्दील हुए और कितने नहीं।
मदन तिवारी
वेब पत्रकार
Mobile No. 08982814912
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