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खुदरा बाजार के लिए घातक है ई- कॉमर्स!

भावों से शब्दों तक
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हाल ही में पूरे देश में ई कॉमर्स क्षेत्र कि उभरती हुए दो बड़ी वेबसाइट के बीच जनता को अधिक से अधिक छूट देने की होड़ चली। देश की सबसे बड़ी ई कॉमर्स वेबसाइट में से एक स्नेप डील व् फ्लिप्कार्ट ने पिछले दिनों भारत में महज 10 घंटे से भी कम समय में कुल 600 करोड़ रुपयों से अधिक का कारोबार करके सभी को अचंभित कर दिया। बीती 6 तारीख देश के उभरते हुए क्षेत्र ई कॉमर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण तारीख में तब्दील हुई। वर्तमान समय में महज भारत में ही हजारों के तादाद में छोटी बड़ी ऐसी कम्पनियां मौजूद हैं जो जरुरत की चीजों को बेहद सस्ते व् बाजार से कम दामों पर ग्राहकों को इन्टरनेट के जरिये से सामान उपलब्ध कराती हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछेक वर्षों में अन्य देशों के तर्ज पर भारत में भी ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज काफी हद तक बढ़ता हुआ प्रतीत हो रहा है। ऑनलाइन बाजार के बढ़ते हुए स्वरुप से जहाँ एक ओर ग्राहक संतुष्ट व् खुश नजर दिखाई पड़ रहें हैं तो वहीं दूसरी और देश भर के खुदरा व्यापारियों के लिए इन्टरनेट के जरिये खरीददारी घातक मालूम पड़ रही है। एक आंकडें के अनुसार वर्तमान समय में ऑफलाइन खुदरा व्यापार भारत कि जी डी पी में 10 फीसदी के आस पास का हिस्सेदार है परन्तु पिछले महज कुछ वर्षों में तेज़ गति पकड़ने वाले ई कॉमर्स क्षेत्र की हिस्सेदारी महज़ एक फीसदी से भी कम है। ऐसे में ई कॉमर्स के देश में तेज़ी से उभरने से पहले ही सवालिया निशान लगने की शुरुआत हो गयी है। दुनिया की शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों में से एक सोनी व् एल जी ने हाल ही में ई कॉमर्स के बढ़ते बाजार के ऊपर एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि आने वाले समय में ऑनलाइन बाजार खुदरा बाजार के लिए घातक साबित हो सकता है। इतना ही नहीं यह नामी कंपनियों का कहना है कि यदि ग्राहक इन कंपनियों के प्रोडक्ट ई कॉमर्स के जरिये से खरीदता है तो किसी भी खराबी के लिए यह कम्पनियाँ जिम्मेदार नहीं होंगी। सोनी व् एल जी जैसी नामी गिरामी कंपनियों के द्वारा जारी की गयी एडवाइजरी मौजूदा वक़्त में ई कॉमर्स क्षेत्र को और तेज़ गति से बढ़ते हुए रूप में दर्शाती हैं ।

अगर हम बात करें ई कॉमर्स क्षेत्र के काम करने के ढंग कि तो हम पाएंगे कि ई कॉमर्स का यह क्षेत्र ठीक शहरों में मौजूद मॉल कि तरह काम करता है। स्नेपडील, फ्लिप्कार्ट आदि जैसी कई अन्य वेबसाइट इन्टरनेट के जरिये अपना माल ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। हजारों कि तादाद में कई खुदरा व्यापारी इन वेबसाइट से जुड़ कर सीधे ग्राहकों तक अपना सामान बेचते हैं जिससे इन व्यापारियों को कई तरह का फायेदा होता है। पहला फायेदा यह कि ये रिटेलर्स ई कॉमर्स के जरिये से अपना माल सीधे ग्राहकों तक पहुंचाते हैं जिससे ग्राहक व् रिटेलर्स के मध्य आने वाले सभी माध्यमों कि समाप्ति हो जाती है और इसी वजह से दामों में कई गुना तक कमी आजाती है और यह मार्जिन रिटेलर्स सीधे अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं। ऑनलाइन रिटेलर्स को इससे फायेदा तो होता ही है साथ ही साथ ई- कॉमर्स जैसे क्षेत्र में काम करने वाली वेबसाइटो पर भी ट्रैफिक बढ़ जाता है। वेबसाइट पर कई लाख क्लिक होने कि वजह से इन वेबसाइट कंपनियों के शेयरों तथा विज्ञापन कि दरों में बड़ी तादाद में उछाल आजाता है। इसी कारणवश यह फायेदा और भी कई गुना बढ़ जाता है। वर्तमान समय में ई कॉमर्स का कारोबार लगभग 8 बिलियन डॉलर सालाना है परन्तु जिस तेज़ गति से इस क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है उससे कई विश्लेषक आने वाले 2020 तक इस ई कॉमर्स के कारोबार को 70 बिलियन डॉलर सालाना तक जाने के आसार देख रहे हैं।

ई -कॉमर्स के कई नकारात्मक पह्लू भी हैं। पहली नज़र में जो पहलू निकल कर सामने आता हुआ दिखाई पड रहा है वह है- ऑफलाइन खुदरा बाजार भारत में सबसे अधिक नौकरियां प्रदान करने वाला क्षेत्र है। बड़ी तादाद में लोग इस क्षेत्र से जुड़ हुए हैं परन्तु ई कॉमर्स के आने से काफी हद तक इस क्षेत्र कि नौकरियों में कटौती होने कि संभावनाएं है। इसके इतर एक कारण यह भी है कि मौजूदा समय में भारत की कुल जनसँख्या सवा सौ अरब है परन्तु इसमें से महज 25 करोड़ लोगों के पास ही इन्टरनेट की सुविधा है। यानी की साफ़ है कि आने वाले वक़्त में ई कॉमर्स जैसे क्षेत्र को पूरे देश में अपना दबदबा बनाने के लिए कई स्तर पर सुधार तथा जरूरतों का सामना करना पड़ेगा।

मदन तिवारी

लखनऊ

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